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Monday, 18 July 2011

यहां सभी धर्म एक समान हैं - राजगृह।


भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी धर्म-संप्रदायों के लोग एक साथ रहते हुए अद्भुत भाईचारे का नमूना पेश करते हैं।

कई शहर ऐसे हैं जहां सभी धर्मों को मानने वालों के पवित्र स्थल हैं। ऐसा ही एक तीर्थ है- राजगृह।

राजगृह सनातनधर्मी हिन्दू, बौद्ध तथा जैन-तीनों का ही तीर्थ है। मगध की पुरानी राजधानी भी राजगृह ही थी। आज भी राजगृह पवित्र तीर्थ भूमि है और पुरुषोत्तम मास में तो वहां बहुत अधिक यात्री पहुंचते हैं।

हिन्दू तीर्थ - राजगृह बस्ती से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर ब्रह्मकुण्ड है। इस क्षेत्र को मार्कण्डेयक्षेत्र कहा जाता है। यहां सरस्वती नदी बहती है जिसे स्थानीय लोग प्राची सरस्वती कहते हैं।

यहां मार्कण्डेयकुण्ड, व्यासकुण्ड, गंगा-यमुनाकुण्ड, अनन्तकुण्ड, सप्तर्षिधारा और काशीधारा हैं। इनके आस-पास सैकड़ों देवी-देवताओं के मंदिर हैं।

सरस्वतीकुण्ड से आधा मील दूर सरस्वती को वैतरणी कहते हैं। यहां नदी के तट पर लोग पिण्डदान और गोदान करते हैं। यहां की विशेषता है कि यहां हर धर्म-समुदाय के लोग पिण्डदान करते हैं।

राजगृह में पांच पर्वत पवित्र माने जाते हैं। सभी तीर्थ इनके ऊपर या इनके मध्य में आ जाते हैं।

बौद्ध तीर्थ - राजगृह प्रधान बौद्ध तीर्थ है। तथागत वर्षा के चार महीने यहीं व्यतीत किया करते थे। यहीं नोज-भंडार में उनकी उपस्थिति में प्रथम बौद्ध-सभा हुई थी। कभी यहां बौद्धों के 18 विहार थे पर अब एक भी नहीं है।

जैन तीर्थ - जैन तीर्थ पंच पहाड़ों पर हैं। इक्कीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ का जन्म यहीं हुआ था। यहीं उन्होंने तप किया था और नीलवन के चम्पकवृक्ष के नीचे केवल-ज्ञानी हुए थे।

मुनिराज धनदत्त और महावीर के कई गणधर भी इस स्थान से मोक्ष गये थे। यहीं नीलगुफा में क्षुल्लिका, पूतिगन्धा ने समाधि मरण किया था। जैनयात्री यहां के दर्शन करने जरूर आते हैं।

कैसे पहुचें - पूर्वी रेलवे पर पटना  से 35 किलोमीटर पूर्व बख्तियारपुर जंकशन है। वहां से राजगिरकुण्ड स्टेशन तक बिहार लाइट रेलवे जाती है। पटना और बख्तियारपुर से राजगृह के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। बख्तियारपुर से राजगृह 50 किलोमीटर दूर है।

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