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Friday 15 July 2011

यहां सबको गले लगाते हैं शनिदेव - शनिश्चरा मंदिर।


शनि की गिनती क्रूर ग्रहों में होती है। सभी इसके बुरे प्रभाव से डरते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि से मुक्ति के लिए शनि की पूजा-अर्चना करने के लिए कहा गया है। आज भारत में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां शनि मंदिर न हो। पर कुछ शनि मंदिर इतने प्रभावशाली हैं कि वहां की गई पूजा का तुरंत फल मिलता है। ऐसा ही एक मंदिर है- शनिश्चरा मंदिर।

क्या है खास - यह शनि मंदिर विश्व के पुराने शनि मंदिरों में से एक है। लोक मान्यता है कि यह शनि पिण्ड महावीर हनुमान ने लंका से फेंका था जो यहां आकर गिरा। यहां शनि को तेल चढ़ाने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा है। जो भी यहां आता है वह बड़े प्यार से शनि महाराज से गले मिलता है और अपनी तकलीफ उनसे बांटता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि उस व्यक्ति की सारी तकलीफें अपने ऊपर ले लेते हैं।यह शनि पिण्ड चमत्कारिक है और इसकी पूजा करने से तुरंत फल मिलता है।

मंदिर के आसपास - शनिश्चरा मंदिर में शनि की शक्तियों का वास तो है ही, यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी मन को खुश कर देती है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है।

कैसे पहुंचें - शनिश्चरा मंदिर मध्य-प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में है। शनिश्चरा रेलवे स्टेशन ग्वालियर-भिण्ड रेलवे लाइन पर पड़ता है। ग्वालियर दिल्ली-मुंबई रेल खण्ड का प्रसिद्ध स्टेशन है। ग्वालियर से बसों व टैक्सियों से भी शनिश्चरा पहुंचा जा सकता है। देश के कई शहरों से ग्वालियर के लिए सीधी हवाई सेवा है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया हवाई अड्डे से शनिश्चरा मंदिर सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है। शनि अमावस्या पर यहां काफी भीड़ होती है। उस दिन स्पेशल ट्रेन और बसें मंदिर तक के लिए चलाई जाती हैं।

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